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बेरोज़गार

आज के समय में पढ़ा लिखा बेरोज़गार युवक रवि घर व बाहर दोनों से परेशां था। उसके लिए रिश्तों की भी कमी नहीं थी। वह कई घंटे से दरिया किनारे खड़ा था, अचानक उसने दरिया मे छलांग लगा दी। छप की आवाज़ के साथ वह गहरे पानी में था,
” उसके दिमाग में बस एक ही बात आई,
यदि मैं बच गया तो, “
चारो तरफ शोर मच गया बचाओ बचाओ
अचानक एक हाथ आया और उसे बचा लिया गया। वह हाथ जोड़ खड़ा था सामने बहुत सारे लोग थे साथ ही वह बचाने वाले सज्जन भी थे। रवि बोले कभी जरूरत पडे तो याद करना सर प्राण देकर भी आपकी सहायता करूँगा। वह बोले क्या करते हो। रवि बोला बेकार हूं सर। वह बोले शादी कर लो मेरी एक पढ़ी लिखि खूबसूरत बेटी है। नहीं सर आपने मेरी जान की बहुत बड़ी कीमत आंकी है। आप मुझे दोबारा दरिया में डाल दो।

About Author /

आरती राय एक व्यवसायी महिला के साथ एक लेखिका भी रही हैं। वह पिछले चालीस साल से सामाजिक विषयों पर लघु कहानियाँ और लेख अलग अलग पत्रिकाओं और अखबारों में प्रकाशित कर रही हैं। वह मानती हैं कि लेखन समाज से जुड़े रहने का एक अहम जरिया है और समाज की कुरुतियाँ बदलने का भी। उनकी कहानियाँ - भिखारी, पश्चताप, पश्चताप के आँसू, अधूरे सपने, सिसकती जिंदगी आदि ने इन्हे लंबे समय तक दैनिक ट्रिब्यून का हिस्सा बनाये रखा।

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