“भुट्टे की मृगतृष्णा”
बांए हाथ ने
कोयले की आंच में
झोंक रखा है उसे
वो जल रहा है
साथ ही
एक वहम जहन में पल रहा है
गत्ते से हवा करता वो दांया हाथ
उसके जख्म सहला रहा है
मृगतृष्णा देखो
आग फैलाने वाला
फायरमैन कहला रहा है
जब नमक मिर्च और नींबू का लेप लगाया जाएगा
तब भी वह शायद ही समझ पाएगा
“भुट्टा”
जलेगा
भुनेगा
सहन करेगा
दुआएं देगा
बांया दांया दांया बांया
हो जाएगा
मजा सिर्फ़ और सिर्फ़
ग्राहक को आएगा ।।।।।।।