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“भुट्टे की मृगतृष्णा”

बांए हाथ ने

कोयले की आंच में

झोंक रखा है उसे

वो जल रहा है

साथ ही

एक वहम जहन में पल रहा है

गत्ते से हवा करता वो दांया हाथ

उसके जख्म सहला रहा है

मृगतृष्णा देखो

आग फैलाने वाला

फायरमैन कहला रहा है

जब नमक मिर्च और नींबू का लेप लगाया जाएगा

तब भी वह शायद ही समझ पाएगा

“भुट्टा”

जलेगा

भुनेगा

सहन करेगा

दुआएं देगा

बांया दांया दांया बांया

हो जाएगा

मजा सिर्फ़ और सिर्फ़

ग्राहक को आएगा ।।।।।।।

About Author /

अभिमन्यु कमलेश राणा हिमाचल प्रदेश के एक राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेटर हैं। वह वर्तमान में भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा विभाग में सहायक लेखापरीक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा, उन्हें कविता पढ़ने और लिखने का शौक है। उन्होंने विभिन्न साहित्यिक समारोहों में भाग लिया है। अभिमन्यु शब्दों की शक्ति में विश्वास रखते हैं और कलम को भावों की अभिव्यक्ति का एक सशक्त साधन मानते हैं

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